Lakshyaraj Singh Mewar: राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने आज सिटी पैलेस, उदयपुर में पिता की विरासत संभालने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर परंपरागत रूप से गद्दी उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के प्रतिष्ठित लोगों सहित मेवाड़ के अनुयायी शामिल हुए। यह उत्सव मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर और परंपराओं का प्रतीक है।
ऐतिहासिक गद्दी उत्सव का शुभारंभ
चैत्र शुक्ल पंचमी के शुभ अवसर पर यह गद्दी उत्सव आयोजित किया गया, जिसकी तैयारियां बीते कई दिनों से चल रही थीं। मंगलवार शाम को इसकी अंतिम तैयारियों को पूरा किया गया।
समारोह का विस्तृत कार्यक्रम:
– सुबह 9:30 बजे: सिटी पैलेस में गद्दी उत्सव का शुभारंभ हवन-पूजन के साथ हुआ।
– दोपहर 3:15 बजे: नोपति अश्व पूजन की परंपरा निभाई गई।
– शाम 4:20 बजे: कैलाशपुरी स्थित एकलिंगनाथ मंदिर के दर्शन किए गए।
– शाम 7:00 बजे: हाथीपोल द्वार का पूजन संपन्न हुआ।
– रात 8:15 बजे: रंग पलटाई की रस्म अदा की गई।
– रात 9:00 बजे: जगदीश मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए गए।
गद्दी उत्सव के दौरान सफेद परिधानों में पुरुषों और महिलाओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया। उत्सव में मेवाड़ के पारंपरिक रीति-रिवाजों का विशेष ध्यान रखा गया।
परंपरा बनाम विवाद: गद्दी उत्सव पर उठे सवाल
इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर केंद्रीय मेवाड़ क्षत्रिय महासभा ने आपत्ति जताई है। महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक सिंह मेतवाला ने इस आयोजन को पारंपरिक गद्दी दस्तूर मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि पूर्व राजपरिवार के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह का गद्दी उत्सव चित्तौड़गढ़ दुर्ग में 25 नवंबर 2024 को पारंपरानुसार आयोजित किया गया था, जो कि वास्तविक परंपरा का पालन करता है। महासभा का मानना है कि इस प्रकार के किसी निजी आयोजन को गद्दी उत्सव कहना सामाजिक परंपराओं के विपरीत है और इससे ऐतिहासिक परंपरा को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी अन्य व्यक्ति को गद्दी दस्तूर कहने का अधिकार नहीं है और इसे परंपरा के साथ खिलवाड़ बताया।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़: एक नई जिम्मेदारी
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वे उदयपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने में पहले से ही सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं। पर्यटन, विरासत संरक्षण और सामाजिक कार्यों में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।
लक्ष्यराज सिंह की विशेष पहलें:
– उदयपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न आयोजनों में सक्रिय भागीदारी।
– ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए विभिन्न परियोजनाओं का संचालन।
– समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान।
लक्ष्यराज सिंह का मानना है कि मेवाड़ की विरासत को आगे बढ़ाने और उसे सहेजने के लिए आधुनिक तरीकों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने हमेशा सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और वे अपने नए दायित्वों को पूरी निष्ठा के साथ निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मेवाड़ की परंपरा और विरासत
मेवाड़ की ऐतिहासिक गद्दी और परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि संस्कृति, सम्मान और विरासत का प्रतीक है। लक्ष्यराज सिंह का गद्दी पर बैठना उनकी नई भूमिका की शुरुआत है, जिससे वे अपनी संस्कृति और इतिहास को और समृद्ध करेंगे।
मेवाड़ गद्दी परंपरा का महत्व
मेवाड़ की गद्दी परंपरा में उत्तराधिकारी का चयन बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक प्रक्रिया है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक मर्यादाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।
गद्दी उत्सव का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
गद्दी उत्सव सिर्फ एक पारिवारिक आयोजन नहीं बल्कि समाज और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ा होता है। इस आयोजन के माध्यम से मेवाड़ के गौरवशाली अतीत की झलक मिलती है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी मेवाड़ की समृद्ध परंपराओं को समझने का अवसर मिलता है। इस उत्सव का प्रभाव न केवल उदयपुर में बल्कि पूरे राजस्थान में देखा जाता है। यह आयोजन राजघराने की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को जीवंत रखने में सहायक है।