MP BJP President: हेमंत खंडेलवाल के सिर पर सजेगा प्रदेश भाजपा का ताज! - Janhitnewsdigital

MP BJP President: हेमंत खंडेलवाल के सिर पर सजेगा प्रदेश भाजपा का ताज!

मध्यप्रदेश/भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) MP BJP President ने पिछले दो दशकों में जिस मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, उसमें संगठनात्मक नेतृत्व की भूमिका निर्णायक रही है। प्रदेश अध्यक्ष का पद न केवल संगठनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सत्ता की रणनीतियों, कैडर निर्माण, चुनावी समन्वय और केंद्रीय नेतृत्व के साथ संवाद का भी केंद्र होता है। वर्तमान परिदृश्य में जब प्रदेश भाजपा नए अध्यक्ष की ओर बढ़ रही है, तो यह प्रक्रिया सिर्फ नामांकन और मतदान की औपचारिकता भर नहीं रह गई है, बल्कि यह 2028 विधानसभा चुनाव की बुनियाद भी तय करेगी।

वर्तमान राजनीतिक संदर्भ: चुनावी प्रक्रिया और संभावित नाम

भाजपा कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक संगठनात्मक चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 1 जुलाई को नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न हुई और 2 जुलाई को आवश्यकता पड़ने पर मतदान और मतगणना की जाएगी। लेकिन राजनीतिक गलियारों में जिस प्रकार की चर्चा है, उससे यह लगभग स्पष्ट हो चुका है कि निर्विरोध निर्वाचन ही इस बार की प्रमुख विशेषता हो सकती है।

प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम शुरू से ही चर्चा में रहे—पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, वरिष्ठ नेता भगवानदास सबनानी, महिला नेत्री अर्चना चिटनिस, आदिवासी सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल, और केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी उइके। लेकिन हालिया घटनाक्रम और संघ-भाजपा नेतृत्व के रुझान को देखते हुए हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) का नाम सबसे आगे है। बैतूल के विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का संघ से गहरा जुड़ाव, संगठनात्मक अनुभव, और केंद्रीय नेतृत्व से मधुर संबंध उन्हें इस दौड़ में सबसे सशक्त उम्मीदवार बनाते हैं।

नामांकन प्रक्रिया: एक औपचारिक पड़ाव

भाजपा के अनुसार, 1 जुलाई को शाम 4:30 बजे से 6:30 बजे तक नामांकन पत्र जमा किए गए। इसके पश्चात 6:30 से 7:30 बजे तक नामांकन पत्रों की जांच हुई, और 7:30 से 8:00 बजे तक नाम वापसी की अवधि निर्धारित की गई थी। रात 8:30 बजे अंतिम सूची जारी की गई।

यदि एक से अधिक उम्मीदवार होते, तो 2 जुलाई को सुबह 11:00 से दोपहर 2:00 बजे तक मतदान कराया जाता। इसके तुरंत बाद मतगणना और परिणामों की घोषणा की जाती। इस पूरी प्रक्रिया में कुल 379 निर्वाचकगण भाग लेंगे, जिनमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, और अन्य विधायक एवं सांसद शामिल हैं।

हेमंत खंडेलवाल का प्रोफाइल: संगठन के भीतर एक भरोसेमंद चेहरा

हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक सफर पारंपरिक और वैचारिक दोनों धरातलों पर मजबूती से खड़ा नजर आता है। वे पूर्व सांसद विजय कुमार खंडेलवाल के पुत्र हैं, जो लंबे समय तक बैतूल से लोकसभा सदस्य रहे। हेमंत स्वयं भी सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में बैतूल से विधायक हैं।

उन्होंने प्रदेश संगठन में कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है, जिससे उन्हें संगठनात्मक मशीनरी की गहरी समझ है। वे संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी के करीबी माने जाते हैं और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उनका सीधा संवाद है। इसके अलावा, वे केंद्रीय नेताओं—राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, और शिवराज सिंह चौहान—के भी विश्वासपात्र माने जाते हैं।

निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा: भाजपा की रणनीति या मजबूरी?

भाजपा संगठन में निर्विरोध निर्वाचन कोई नई बात नहीं है। अक्सर शीर्ष नेतृत्व और संगठनात्मक सहमति से नाम तय कर लिया जाता है ताकि आंतरिक खींचतान से बचा जा सके। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि पार्टी की छवि एकजुट और अनुशासित बनी रहे।

हेमंत खंडेलवाल की ओर बढ़ता हुआ रुझान इसी रणनीति का संकेत हो सकता है। यह भी संभव है कि शीर्ष नेतृत्व ने अन्य संभावित उम्मीदवारों को समझाइश दी हो या उन्हें भविष्य में संगठन या सरकार में अन्य भूमिकाओं का आश्वासन दिया गया हो।

आरएसएस का दृष्टिकोण: संगठनात्मक मजबूती या विचारधारा की प्राथमिकता?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भाजपा की संगठनात्मक संरचना में भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, विशेषकर प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर नियुक्तियों में। संघ किसी विशेष चेहरे को सीधे नियुक्त नहीं करता, लेकिन विचारधारा के प्रति समर्पण, संगठन के प्रति अनुशासन और निचले स्तर पर काम करने की प्रतिबद्धता के आधार पर वह अपनी सहमति देता है।

हेमंत खंडेलवाल को संघ की पसंद के रूप में देखे जाने का अर्थ यह है कि वे उस विचारधारा और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो संघ को प्राथमिकता देता है।

राजनीतिक परिणाम: अगले चुनावों की नींव

प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति केवल संगठनात्मक औपचारिकता नहीं होती, यह अगले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीतिक नींव भी होती है। हेमंत खंडेलवाल जैसे संयमित, संगठन-मूलक और संघ समर्थित नेता को अध्यक्ष बनाना, भाजपा की ओर से यह संकेत हो सकता है कि पार्टी अब संगठन की मजबूती और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद को प्राथमिकता देने वाली रणनीति अपनाने जा रही है।

पूर्व अध्यक्षों की भूमिका और तुलना

पिछले वर्षों में मध्य प्रदेश भाजपा को प्रहलाद पटेल, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह, और वीडी शर्मा जैसे नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व प्रदान किया। इनमें से कुछ का कार्यकाल चुनावी सफलताओं के लिए जाना गया, तो कुछ के समय पार्टी को संगठनात्मक संकटों से भी गुजरना पड़ा।

हेमंत खंडेलवाल यदि अध्यक्ष बनते हैं, तो वे उन चुनौतियों का सामना करेंगे जो संगठन को सत्ता के साथ संतुलित रखना, युवा कार्यकर्ताओं को जोड़े रखना, और जातीय-सामाजिक संतुलन बनाए रखना होगा।

हालांकि सभी संकेत और आंतरिक समीकरण हेमंत खंडेलवाल की ओर इशारा कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय तब तक नहीं कहा जा सकता जब तक 2 जुलाई को परिणामों की आधिकारिक घोषणा न हो जाए। भाजपा में अंतिम क्षणों में हुए परिवर्तन भी राजनीति का हिस्सा रहे हैं।

परंतु यदि वर्तमान संकेतों को आधार माना जाए, तो यह कहना अनुचित नहीं होगा कि हेमंत खंडेलवाल प्रदेश भाजपा के अगले कप्तान बनने जा रहे हैं, जिनके नेतृत्व में पार्टी 2028 के चुनावी अभियान की बुनियाद रखेगी।

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